छह लाख डॉक्टरों की कमी पांच वर्ष में कैसे पूरी होगी मंत्री जी?
सुमन कुमार
ऐसा लगता है कि वर्तमान केंद्र सरकार के हर मंत्री के पास सिर्फ हवा-हवाई दावे ही रह गए हैं। एक ओर जहां देश की आबादी एक अरब 30 करोड़ पर पहुंच रही है और आबादी के हिसाब से यहां अभी 6 लाख डॉक्टरों और 20 लाख नर्सों की कमी है वहीं देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन दावा कर रहे हैं कि देश में डॉक्टरों की कमी आगामी आगामी 5 से 7 वर्षों में दूर हो जाएगी। डॉक्टर हर्षवर्धन ने यह दावा देश की संसद में किया है। वैसे अगर आंकड़ों को देखें तो स्वास्थ्य मंत्री का यह दावा हवा-हवाई ही लगता है।
दरअसल डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को लोकसभा में उम्मीद जताई कि अगले पांच-सात वर्षों के भीतर देश में चिकित्सकों की कमी दूर हो जाएगी। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और भर्तृहरि महताब के पूरक प्रश्नों के उत्तर में मंत्री जी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद देश में एमबीबीएस की सीटों में 29 हजार और मेडिकल के पीजी पाट्यक्रमों की सीटों में 17 हजार की बढ़ोतरी की गई है।
जरा वर्तमान आंकड़ों पर गौर करें। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार उसके पास रजिस्टर्ड डॉक्टरों की कुल संख्या साल 2017 तक 7.5 लाख थी। मगर स्वास्थ्य मंत्रालय का एक अध्ययन बताता है कि इनमें से दो लाख डॉक्टर अपना ये पेशा छोड़कर कोई और काम कर रहे हैं। यानी वास्तव में 5.5 लाख डॉक्टर ही जनता का इलाज करने के लिए उपलब्ध हैं। इसमें फीजिशियन, सर्जन, अलग-अलग बीमारी के विशेषज्ञ सभी शामिल हैं। दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के हिसाब से किसी भी देश में प्रति 1000 आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए। यानी वर्तमान में जो साढ़े पांच लाख डॉक्टर उपलब्ध हैं वो सिर्फ 55 करोड़ जनसंख्या के लिए ही पर्याप्त हैं। अब इसमें से भी डॉक्टरों का बड़ा हिस्सा बेहतर कॅरिअर की आस में महानगरों में बसा है जबकि देश की आबादी गांवों में ज्यादा है। यही वजह है कि देश के महानगरों में बड़े बड़े निजी अस्पतालों में डॉक्टरों की भरमार है और महंगा इलाज होने के कारण वहां मरीज नहीं हैं जबकि गांवों में जहां मरीज ज्यादा हैं वहां डॉक्टर ही नहीं हैं।
अब जरा डॉक्टर हर्षवर्धन के दावे पर विचार करें। उनके हिसाब से देश में अब एमबीबीएस की 29 हजार से अधिक सीटें बढ़ गई हैं। यानी कुछ सालों में देश को सालाना 29 हजार एमबीबीएस डॉक्टर अधिक मिलने लगेंगे। मगर हर साल जिस दर से आबादी बढ़ रही है, ये संख्या उसके अनुरूप नहीं रह जाएगी। फिर भी अगर हम मान लें कि ये संख्या डॉक्टरों की कमी को पूरा करने लगेगी तब भी इस दर से 6 लाख डॉक्टरों की कमी पूरी होने में कम से कम 20 साल लगेंगे। जाहिर है कि डॉक्टर हर्षवर्धन का दावा हकीकत की जमीन से कोसों दूर है।
वैसे वर्तमान में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि अगले साल यानी 2020 में देश के सरकारी और निजी सभी मेडिकल कॉलेज मिलकर कुल 76928 एमबीबीएस सीटों पर दाखिले देंगे। डॉक्टर हर्षवर्धन का ये भी कहना है कि ये सरकार देश इस समय 150 से अधिक मेडिकल कॉलेज और 22 एम्स स्थापित करने पर काम कर रही है। इनकी रफ्तार किसी से छिपी है। इनमें से कई अस्पतालों की स्थापना अभी प्रस्ताव के ही चरण में है। यानी जमीन मिलने से लेकर भवन बनने और फिर उसके लिए शिक्षक तलाश करने और पढ़ाई शुरू होने तक कितने साल लगेंगे ये कहना मुहाल है।
मगर हां, ये जरूर मान सकते हैं कि वर्तमान सरकार ने शुरुआत बहुत बेहतर की है। ये काम कम से कम 30 साल पहले होने से आज देश में चिकित्सा की स्थिति बिलकुल ही अलग होती।
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